बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 गृह विज्ञान बीए सेमेस्टर-1 गृह विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 गृहविज्ञान
प्रश्न- वंशानुक्रम से आप क्या समझते है। वंशानुक्रम का मानवं विकास पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर -
वंशानुक्रम
(Heredity)
बालक के विकास में विभिन्न कारकों का योगदान होता है। कुछ विशेषताएँ बालक में जन्म-जात होती हैं तथा कुछ परिवेश के आधार पर बालक विकसित करता है। बालक के सर्वांगीण विकास में वंशानुक्रम तथा वातावरण दोनों का ही योगदान होता है। शिशु का विकास गर्भाधान से ही आरम्भ हो जाता है। माता-पिता के आचार-विचार, विशेषताएँ आदि किसी ना किसी रूप में बालक में आती है तथा जन्मजात गुण व विशेषक वातावरण जन्य प्रभाव के कारण विकसित होते हैं। इसी के आधार पर यह विचार संगत है कि माता-पिता व बालक में साम्यता होती है। वातावरण जन्य तत्व का भी उतना ही महत्व है जितना आनुवांशिकता का। वाटसन के अनुसार तो "मुझे बालक दीजिये तथा उनको वातावरण के आधार पर मैं डॉक्टर, इन्जीनियर, लेखक चोर, जुआरी, अपराधी कुछ भी बना दूंगा।" आनुवांशिकता के पक्षधर जन्मजात गुणों को अधिक महत्व देते हैं। पर दोनों तत्वों का गुणनफल ही मानव के व्यक्तित्व को प्रभावित करता है। अतः वंशानुक्रम मानव के गुणों का आन्तरिक पक्ष है तथा वातावरण बाह्य पक्ष है। वंशानुक्रम व्यक्ति को जन्मजात गुण प्रदान करता है जबकि वातावरण उसे इन गुणों की सिद्धि के लिये सुविधाऐं और अवसर प्रदान करता है। समुचित वातावरण के अभाव में श्रेष्ठ आनुवांशिकता भी अविकसित रहती है तथा निम्न आनुवांशिकता समृद्ध वातावरण का सहयोग पाकर बालक के विकास में सहयोग देते हैं। उत्तम आनुवांशिकता वाली सन्तान दूषित वातावरण में बिगड़ती देखी जाती है तथा समुचित वातावरण में अपराधी भी आदर्श नागरिक बन जाता है।
वंशानुक्रम का अर्थ
(Meaning of Heredity)
प्राणी को अपने पूर्वजों से जो कुछ भी प्राप्त होता है वह 'वंशानुगत गुण' (Heredity Traits) के कारण होता है। सरल शब्दों में, बालक अपने माता-पिता एवं अन्य पूर्वजों से जो विभिन्न शारीरिक एवं मानसिक गुण गर्भाधान के समय प्राप्त करता है वह उसके “वंशानुगत गुण" (Heredity Traits) कहलाते हैं। अर्थात् जन्म से पूर्व प्राप्त होने वाले सभी गुण वंशानुगत होते हैं। इसीलिए " वंशानुक्रम को व्यक्ति के 'जन्मजात गुणों का समूह' कहा जाता है। वंशानुक्रम प्रकिया के कारण ही मानव शिशु, बंदर से बंदर शिशु बाघ से बाघ शिशु का प्रादुर्भाव होता है और प्रत्येक प्राणी अपने वंश परम्परा को कायम रखता है।'
वंशानुक्रम की परिभाषाएँ
(Definitions of Heredity)
विभिन्न विद्वानों एवं मनोवैज्ञानिकों ने वंशानुक्रम की भिन्न परिभाषाएँ दी हैं। कुछ प्रमुख परिभाषाएँ निम्नानुसार हैं-
1. डी. सी. डिन्कमेयर के अनुसार - " वंशानुगत कारक वे जन्म जात विशेषताएँ हैं जो शिशु को जन्म से ही प्राप्त होती है। प्राणी के विकास में ये वंशानुगत शक्तियाँ प्रधान तत्व होने के कारण उसके स्वभाव एवं जीवन चक्र की गति को नियंत्रित करती हैं। इन वंशानुगत तत्वों को प्राणी की संरचना एवं क्रियात्मकता से सम्बन्धित सम्पत्ति एवं ऋण समझना चाहिए क्योंकि इन्हीं कारकों की सहायता से प्राणी अपने विकास के लिए जन्मजात तथा अर्जित क्षमताओं का उपभोग कर पाता है। "
2. वुडवर्थ एवं मारक्विस के अनुसार - " वंशानुक्रम में वे सभी कारक निहित होते हैं। जो व्यक्ति के जीवन के शुरूआत के समय से ही उपस्थित हो जाते हैं, जन्म के समय नहीं, अपितु गर्भाधान के समय ही, अर्थात् जन्म से नौ माह पूर्व ही उपस्थिति हो जाते हैं।"
3. जेम्स ड्रेवर के अनुसार - " माता-पिता के शारीरिक एवं मानसिक गुणों का अपने संतानों में हस्तांतरण ही वंशानुक्रम है।"
4. पीटरसन के अनुसार - "व्यक्ति को उसके माता-पिता के द्वारा उसके पूर्वजों से जो स्टॉक (Stock) प्राप्त होता है, वही उसका वंशानुक्रम है। "
संक्षेप में कहा जा सकता है कि व्यक्ति अपने माता-पिता अथवा पूर्वजों से जो गुण या विशेषतायें प्राप्त करता है, वही उसका वंशानुक्रम कहलाता है।
वंशानुक्रम के वाहक
(Carriers of Heredity)
वंशानुक्रम के वाहक जीन्स (Genes) होते हैं। ये जीन्स क्रोमोसोम्स में उपस्थित होते हैं। जीन्स ही यह निर्धारित करतें हैं कि बालक का रंग, रूप, मुखाकृति, बुद्धि, चातुर्य आदि किस प्रकार का होगा? गर्भ में पल रहा शिशु लड़का होगा या लड़की? अब प्रश्न यह उठता है कि जीन्स माता-पिता द्वारा अपनी संतानों तक कैसे पहुँचता है? जीवन की शुरूआत कैसे होती है? (How life Begins) तो आइये जानें कि वंशानुक्रम के वाहक जीन्स का हस्तांतरण संतानों में किस तरह से होत है।
स्त्री एवं पुरुष के लैंगिक संभोग के समय पुरुष के शुक्राणु (Sperm) स्त्री के अंडाणु से मिलते हैं और उसे निषेचित (Fertilize) कर देते हैं। इस निषेचित अंडाणु को ही जाइगोट (Zygote) कहते हैं। इस जाइगोट में ही माता-पिता एवं उनके पूर्वजों के शारीरिक एवं मानसिक गुण विद्यमान रहते हैं।
जाइगोट की संरचना (Structure of Zygote) – यदि जाइगोट की संरचना को सूक्ष्मदर्शी से देखें तो इसमें तीन प्रमुख भाग दिखाई देते हैं-
(1) कोशिका भित्ति (Cell Wall) - कोशिका भित्ति जाइगोट की बाह्य संरचना होती है। यह सुरक्षा भित्ति (Protective wall) की तरह कार्य करती है तथा जाइगोट के सभी आँतरिक भागों को सुरक्षा प्रदान करती है।
(2) जीवद्रव्य (Protoplasm) - कोशिका भित्ति तथा केन्द्रक के बीच जीवद्रव्य भरा होता है। इसी से जाइगोट का पोषण होता है।
( 3) केन्द्रक ( Nucleus) - जाइगोट की सबसे महत्वपूर्ण संरचना होती है 'केन्द्रक' (Nucleus)। यह जाइगोट के बीच में उपस्थित होती है। इसी केन्द्रक में अत्यंत ही पतले-पतले रेशों के समान सूक्ष्म संरचना होती है, जिसे क्रोमोसोम्स (Chromosomes) कहते हैं। ये क्रोमोसोम्स प्रोटीन के बने होते हैं। इन्हीं क्रोमोसोम्स में वंशानुक्रम के वाहक 'जीन्स', उपस्थित रहते हैं। इन्हीं जीन्स के माध्यम से माता-पिता की विभिन्न शारीरिक गुणों दोषों का हस्तांतरण बालकों में होता है। अतः बालक का रंग-रूप, आकृति, लम्बाई, लिंग, बुद्धि आदि का निर्धारण जीन्स के द्वारा होता है।
प्रत्येक जाइगोट में 46 क्रोमोसोम होते हैं जिसमें से 23 क्रोमोसोम्स पिता द्वारा तथा 23 क्रोमोसोम्स माता द्वारा प्राप्त होते हैं। माता के अंडाणु और पिता के शुक्राणु में भी 46 क्रोमोसोम्स होते हैं जो 23-23 के जोड़े बनाकर रहते हैं। इन 23 जोड़े क्रोमोसोम्स में से 1 जोड़े क्रोमोसोम लिंगी (Sexual) क्रोमोसोम होते हैं तथा 23 जोड़े अलिंगी क्रोमोसोम्स होते हैं, जिन्हें ऑटोसोम्स (Autosomes) भी कहते हैं। स्त्री में सभी क्रोमोसोम्स एक ही प्रकार के होते हैं। अतः माता में केवल XX प्रकृति के क्रोमोसोम उपस्थित होते हैं जबकि पिता में XY दो भिन्न प्रकृति के क्रोमोसोम उपस्थित रहते हैं।
गर्भाधान (Conception) के समय 23 क्रोमोसोम्स पिता के शुक्राणु द्वारा तथा 23 क्रोमोसोम्स माता के अंडाणु द्वारा पहुँचते हैं और इस तरह जाइगोट में 46 क्रोमोसोम्स उपस्थित हो जाते हैं। यदि जाइगोट में केवल XX क्रोमोसोम्स ही उपस्थित होता है तो लड़की का जन्म होता है। इस प्रकार बालक का लिंग निर्धारण भी गर्भाधान के समय ही हो जाता है। क्रोमोसोम्स में उपस्थित जीन्स ही यह निर्धारित करते हैं कि बालक का शारीरिक एवं मानसिक गुण किस प्रकार के होंगे? माता-पिता से प्राप्त जीन्स में से जिसके जीन्स अधिक 'शक्तिशाली' एवं 'dominant' होते हैं बालक में उनसे सम्बन्धित गुण ही अधिक दिखाई देते हैं। बालकों में जीन्स द्वारा न केवल माता-पिता का बल्कि दादा-दादी, नाना-नानी एवं उनके पूर्वजों के गुण भी हस्तांतरित होते हैं।
वंशानुक्रम के नियम
(Laws of Heredity)
वंशानुक्रम के मुख्य नियम इस प्रकार हैं-
1. बीजकोष की निरन्तरता का नियम (Law of Continuity of Germ Cell) - इस . नियम के अनुसार बालक अपने माता-पिता से उन गुणों को ग्रहण करता है जो उन्होंने अपने पूर्वजों से प्राप्त किये थे। बालक वे गुण जो माता-पिता ने स्वयं अर्जित किये, इस नियम के अनुसार ग्रहण नहीं करते। जर्मनी के वीजमैन (Weis mann) ने कई चूहे पाल कर हर बार उनकी पूंछ काट कर परखा। अपने प्रयोग में उन्होंने देखा कि पूंछ कटे हुए चूहों से उत्पन्न सन्तान में पूंछ ज्यों कि त्यों थी। इसी प्रकार आवश्यक नहीं है कि अपंग माता-पिता की संतान भी अपंग हो।
2. जीव सांख्यिकी नियम (Law of Biometrics) - इस नियम के अनुसार बालक विशेषक ( Traits) सिर्फ माता-पिता से ही प्राप्त नहीं करता वरन् अन्य पूर्वजों से भी प्राप्त करता है। बालक आधी विशेषताएं माता-पिता से प्राप्त करता है, एक चौथाई दादा-दादी, नाना-नानी से प्राप्त करता है, तथा आठवां भाग ( 1/8) परदादा परदादी व परनाना-परनानी से प्राप्त करता है। इसी प्रकार यह क्रम ऊपर की ओर चलता रहता है।
3. समानता का नियम (Law of Resemblance) - इस नियम के अनुसार बालक माता-पिता या पूर्वजों के समान होता है। बालक माता-पिता व पूर्वजों से गुण (Traits) ग्रहण करता इसीलिए वह परिवार के किसी सदस्य से एकरूप होता है। देखा गया है कि एक ही परिवार के विभिन्न सदस्यों में समानता होती है।
4. विभिन्नता का नियम (Law of Variation) - इस नियम के अनुसार माता-पिता व बालकों में भिन्नता पाई जाती है। यहाँ तक कि एक ही माता-पिता की संतानों में भी अंतर होता है। यह वंशसूत्र (Chromosomes) के मिश्रण पर निर्भर करता है। जैसे, लम्बे माता-पिता की संतान ठिगनी भी होती है वह काले माता-पिता की संतान गोरी भी हो सकती है।
5. प्रत्यागमन या परावर्तन का नियम (Law of Regression) - इस नियम के अनुसार व्यक्ति बिल्कुल माता-पिता के समान न होकर सामान्य (Average) की ओर अग्रसर होता है। अगर माँ-बाप बुद्धिमान है तो बालक कम बुद्धिमान होगा। इसी प्रकार मंद बुद्धि माता-पिता की संतान बुद्धिमान भी हो सकती है
6. अर्जित गुणों का संक्रमण (Transmission of Acquired Traits) - इस नियम के अनुसार माता-पिता के अर्जित गुणों का संक्रमण होता है। माता-पिता वातावरण के साथ सामंजस्य करने के लिए अपने आप में कुछ परिवर्तन लाते हैं जिनका प्रभाव शारीरिक अवयवों पर पड़ता है और इन गुणों का संक्रमण उनके बच्चों में हो जाता है।
बालक के विकास पर आनुवंशिकता का प्रभाव
(Influence of Heredity on the Development of Child)
बालक जो भी गुण आनुवंशिकता से प्राप्त करता है वे उसके विकास पर कुछ न कुछ प्रभाव अवश्य डालते हैं-
1. लिंग भेद पर प्रभाव (Effect on Sex Difference) पुरुष के शुक्राणु दो प्रकार के होते हैं - X व Y. स्त्री के डिम्ब में केवल एक ही प्रकार के वंशसूत्र होते हैं: X पुरूष का जब X वाला शुक्राणु स्त्री के डिम्ब से मिलता है तो X के संयोग से लड़की होती है और जब Y शुक्राणु डिम्ब से मिलता है तो संतान लड़का होती है।
2. शारीरिक विशेषताओं पर प्रभाव (Effect on Physical Characteristics) - शारीरिक विशेषताएं जैसे- कद, रंग आदि आनुवांशिकता से प्रभावित होता है। प्रत्येक शारीरिक विशेषता का एक जोड़ा वंशसूत्र बालक को अपने माता-पिता से मिलता है। अगर ये दोनों वंशसूत्र ( Chromosomes) एक से हैं तो बालक में वहीं शारीरिक गुण आ जाता है। यदि दोनों वंशसूत्र अलग-अलग हैं तो जो प्रबल (Deminant) होता है उसके गुण बालक में आ जाते हैं। यह भी हो सकता है कि बालक ने शारीरिक गुण माता-पिता से न लेकर पूर्वजों से लिये हों। जैसे—काले माता-पिता की संतान का गोरा होना इत्यादि।
3. बुद्धि पर प्रभाव (Effect on Intelligence) —- आनुवांशिकता का बुद्धि पर भी प्रभाव पड़ता है। बुद्धिमान माता-पिता की संतान बुद्धिमान होगी पर इसके विपरीत भी हो सकती है। अर्थात् संतान मंद बुद्धि हो सकती है, पर दोनों ही अवस्था में बुद्धि पर आनुवांशिकता का प्रभाव पड़ता है।
4. व्यक्तित्व पर प्रभाव (Effect on Personality) अनुवांशिकता का प्रभाव व्यक्ति के व्यक्तित्व पर भी पड़ता है।
बालक के व्यक्तित्व में अन्तर लिंग भेद के कारण होता है। लड़कियों का व्यक्तित्व लड़कों से भिन्न होता है। पर व्यक्तित्व के गुण बालक अपने माता-पिता या पूर्वजों से ग्रहण करता है।
5. व्यवहार पर प्रभाव (Effect on Behaviour) - बालक का व्यवहार बहुत कुछ अनुवांशिकता पर निर्भर करता है। अगर माता-पिता शांत स्वभाव के हैं तो बालक का स्वभाव भी वैसा ही होगा। इसके विपरीत झगड़ालू माता-पिता की संतान भी उसी प्रकार की होगी। इसके अतिरिक्त बालक का स्वभाव बहुत कुछ स्राव ग्रन्थियों पर भी निर्भर करता है।
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- प्रश्न- वसा में घुलनशील विटामिन क्या होते हैं? आहार में विटामिन 'ए' कार्य, स्रोत तथा कमी से होने वाले रोगों का उल्लेख कीजिये।
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- प्रश्न- क्वाशियोरकर कुपोषण के लक्षण बताइए।
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- प्रश्न- प्रोटीन हीनता के कारण बताइए।
- प्रश्न- क्वाशियोरकर तथा मेरेस्मस के लक्षण बताइए।
- प्रश्न- प्रोटीन के कार्यों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भोजन में अनाज के साथ दाल को सम्मिलित करने से प्रोटीन का पोषक मूल्य बढ़ जाता है।-कारण बताइये।
- प्रश्न- शरीर में प्रोटीन की आवश्यकता और कार्य लिखिए।
- प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट्स के स्रोत बताइये।
- प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट्स का वर्गीकरण कीजिए (केवल चार्ट द्वारा)।
- प्रश्न- यौगिक लिपिड के बारे में अतिसंक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- आवश्यक वसीय अम्लों के बारे में बताइए।
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- प्रश्न बेरी-बेरी रोग का कारण, लक्षण एवं उपचार बताइये।
- प्रश्न- विटामिन (K) के के कार्य एवं प्राप्ति के साधन बताइये।
- प्रश्न- विटामिन K की कमी से होने वाले रोगों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- एनीमिया के प्रकारों को बताइए।
- प्रश्न- आयोडीन के बारे में अति संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- आयोडीन के कार्य अति संक्षेप में बताइए।
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- प्रश्न- “भाप द्वारा पकाया भोजन सबसे उत्तम होता है।" इस कथन की पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- भोजन विषाक्तता पर टिप्पणी लिखिए।
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- प्रश्न- मानव विकास को परिभाषित करते हुए इसकी उपयोगिता स्पष्ट करो।
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- प्रश्न . विकास एवं वृद्धि से आप क्या समझते हैं? विकास में होने वाले प्रमुख परिवर्तन कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- विकास के प्रमुख नियमों के बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धि एवं विकास को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बाल विकास के अध्ययन की परिभाषा तथा आवश्यकता बताइये।
- प्रश्न- पूर्व-बाल्यावस्था में बालकों के शारीरिक विकास से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- पूर्व-बाल्या अवस्था में क्रियात्मक विकास से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- मानव विकास को समझने में शिक्षा की भूमिका बताओ।
- प्रश्न- बाल मनोविज्ञान एवं मानव विकास में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- वृद्धि एवं विकास में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- गर्भकालीन विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-सी हैं? समझाइए।
- प्रश्न- गर्भकालीन विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक कौन से है। विस्तार में समझाइए |
- प्रश्न- गर्भाधान तथा निषेचन की प्रक्रिया को स्पष्ट करते हुए भ्रूण विकास की प्रमुख अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।.
- प्रश्न- गर्भावस्था के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्रसव कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रश्न- विकासात्मक अवस्थाओं से क्या आशर्य है? हरलॉक द्वारा दी गयी विकासात्मक अवस्थाओं की सूची बना कर उन्हें समझाइए।
- प्रश्न- "गर्भकालीन टॉक्सीमिया" को समझाइए।
- प्रश्न- विभिन्न प्रसव प्रक्रियाएँ कौन-सी हैं? किसी एक का वर्णन कीएिज।
- प्रश्न- आर. एच. तत्व को समझाइये।
- प्रश्न- विकासोचित कार्य का अर्थ बताइये। संक्षिप्त में 0-2 वर्ष के बच्चों के विकासोचित कार्य के बारे में बताइये।
- प्रश्न- नवजात शिशु की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करो।
- प्रश्न- नवजात शिशु की पूर्व अन्तर्क्रिया और संवेदी अनुक्रियाओं का वर्णन कीजिए। वह अपने वाह्य वातावरण से अनुकूलन कैसे स्थापित करता है? समझाइए।
- प्रश्न- क्रियात्मक विकास से आप क्या समझते है? क्रियात्मक विकास का महत्व बताइये |
- प्रश्न- शैशवावस्था तथा स्कूल पूर्व बालकों के शारीरिक एवं क्रियात्मक विकास से आपक्या समझते हैं?
- प्रश्न- शैशवावस्था एवं स्कूल पूर्व बालकों के सामाजिक विकास से आप क्यसमझते हैं?
- प्रश्न- शैशवावस्थ एवं स्कूल पूर्व बालकों के संवेगात्मक विकास के सन्दर्भ में अध्ययन प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- शैशवावस्था क्या है?
- प्रश्न- शैशवावस्था में संवेगात्मक विकास क्या है?
- प्रश्न- शैशवावस्था की विशेषताएं क्या हैं?
- प्रश्न- शैशवावस्था में शिशु की शिक्षा के स्वरूप पर टिप्पणी लिखो।
- प्रश्न- शिशुकाल में शारीरिक विकास किस प्रकार होता है।
- प्रश्न- शैशवावस्था में मानसिक विकास कैसे होता है?
- प्रश्न- शैशवावस्था में गत्यात्मक विकास क्या है?
- प्रश्न- 1-2 वर्ष के बालकों के संज्ञानात्मक विकास के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- बालक के भाषा विकास पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- संवेग क्या है? बालकों के संवेगों का महत्व बताइये।
- प्रश्न- बालकों के संवेगों की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- बालकों के संवेगात्मक व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं समझाइये |
- प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास से आप क्या समझते है। पियाजे के संज्ञानात्मक विकासात्मक सिद्धान्त को समझाइये।
- प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- दो से छ: वर्ष के बच्चों का शारीरिक व माँसपेशियों का विकास किस प्रकार होता है? समझाइये।
- प्रश्न- व्यक्तित्व विकास से आपका क्या तात्पर्य है? बच्चे के व्यक्तित्व विकास को प्रभावित करने वाले कारकों को समझाइए।
- प्रश्न- भाषा पूर्व अभिव्यक्ति के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- बाल्यावस्था क्या है?
- प्रश्न- बाल्यावस्था की विशेषताएं बताइयें।
- प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में खेलों के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में बच्चे अपने क्रोध का प्रदर्शन किस प्रकार करते हैं?